ऐसे कभी
किसी छांव के नीचे क्युं ना
खो जाये
हम फिर कभी
रब के उस भीडमें चलते
खो जाये
साथ रहते रहते
हम कहीं खो जाये
टूटनेसे पहले
ऐसेही खो जाये
साथ रहते रहते
हम कहीं खो जाये
मिलने से पहले
ऐसेही खो जाये
मिल जाये जैसे
दो दरीया मिले
बिखर जाये जैसे
दो झरने लिये
ये पवन थम सी गयी
ये बादल झूम रहा है
साथ रहते रहते
हम कहीं खो जाये
टूटनेसे पहले
ऐसेही खो जाये
साथ रहते रहते
हम कहीं खो जाये
मिलने से पहले
ऐसेही खो जाये
Be the first to comment